Shrimad bhagvat geeta (SBG)

Latest Post

🌼 श्री नरसिम्हा अष्टकम 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩 नरसिंह जयंती 2025 🚩

🙏श्री नरसिम्हा अष्टकम (Sri Narasimha Ashtakam) 🙏

श्रीमदकलंक परिपूर्ण शशिकोति-  
श्रीधर मनोहर शतपतला कांता।  
पलाय कृपालाय भवाम्बुधि-निमाग्नं  
दैत्यवरकाल नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 1॥ 

पादकमलावनता पातकी-जनानां
पातकड़वनला पतरात्रिवरा  -कीतो।  

भावना परायण भवन्तिहरया मां  
पाहि कृपायैव नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 2॥ 

तुंगनखा-पंक्ति-दलितासुर-वरासृक  
पंक-नवकुंकुमा-विपांकिला-महोरा:।  
पण्डितनिधान-कमलालाय नमस्ते  
पंकजनिशान नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 3॥ 

मौलिषु विभूषणमिवमरा वर्णनं  
योगीहृदयेषु च शिरसुनिगमनम्।  
राजदारविंदा-रुचिरं पदयुगं ते  
देहि मम मूर्धनी नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 4॥
 

वारिजविलोचन मदन्तिमा-दशायं  
क्लेश-विवशिकृत-समस्त-करणायम्।  
एहि रामाय सह शरण्य विहगानं  
नाथमाधिरुह्य नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 5॥ 

हतका-किरीट-वराहर-वनमाला धरराशन  
-मकरकुंडल-मणिन्द्रयः।  
भूषितमशेष-निलयं तव वापुर्मे  
चेतसि चकास्तु नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 6॥ 

इंदु रवि पावक विलोचन रामायणः  
मंदिर महाभुज-लसद्वार-रथंग।  
सुंदर चिरय रमतां त्वयि मनो मे  
नंदिता सुरेश नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 7॥ 

माधव मुकुंद मधुसूदन मुरारे  
वामन नृसिंह शरणं भव नतानाम।  
कामदा घृणिं निखिलकरण  
नायेयं कालमामरेश नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 8॥ 

अष्टकामिदं सकल-पातक-भयघ्नं कामदं  
अशेष-दुरितमय-रिपुघ्नम।  
यः पथति संततमशेष-निलयं ते  
गच्छति पदं स नरसिम्हा नरसिम्हा ॥ 9॥ 
  ***

🦚Narasimha Mantra🦚 

  

🌺Narasimha Maha Mantra🌺

  

“Om hrim ksaumugram viram mahavivnumjvalantam sarvatomukham। 

Nrsimham bhisanam bhadrammrtyormrtyum namamyaham ॥” 


ॐ ह्रीं क्षौं उग्रम् वीरम् महाविष्णुं ज्वलन्तम् सर्वतोमुखम्।

नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युर्मृत्युम् नमाम्यहम् ॥

  

अर्थ: ‘हे क्रोधित और वीर महा-विष्णु, आपकी गर्मी और अग्नि हर जगह व्याप्त है। हे भगवान नरसिंह, आप हर जगह हैं। आप मृत्यु के भी काल हैं और मैं आपकी शरण में आता हूँ।’

 
लाभ: इस मंत्र का अत्यंत भक्ति भाव से जाप करने से नरसिंह कवच की प्राप्ति होती है, जो सभी आशीर्वादित वस्तुओं की रक्षा करता है तथा जपकर्ता की सभी समस्याओं का नाश करता है।

  
🍁 Narasimha Pranama Prayer🍁 

  
namaste narasiṁhāya prahlāda-āhlāda-daivate । 
hiraṇyakaśipoḥ vakṣaḥ-śilā-ṭaṅka-nakhālaye ॥ 

 

 नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लाद-आह्लाद-दैवते ।  

हिरण्यकशिपोः वक्षः-शिला-टङ्क-नखालये ॥ 

 
ito nṛsiṁhaḥ parato nṛsiṁhaḥ 
yato yato yāmi tato nṛsiṁhaḥ । 
bahir nṛsiṁho hṛdaye nṛsiṁhaḥ 
nṛsiṁham ādiṁ śaraṇaṁ prapadye ॥ 

 
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहः यतो यतो यामि ततो नृसिंहः ।  

बहिर्नृसिंहो हृदयेनृसिंहः नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये ॥ 

 

अर्थ: ‘मैं भगवान नरसिंह को प्रणाम करता हूँ, जो प्रह्लाद महाराज को आनन्द देते हैं और जिनके नाखून राक्षस हिरण्यकशिपु की पत्थर जैसी छाती पर छेनी के समान हैं।

     
                  भगवान नरसिंह यहाँ भी हैं और वहाँ भी। मैं जहाँ भी जाता हूँ भगवान नरसिंह वहाँ होते हैं। वे हृदय में भी हैं और बाहर भी। मैं भगवान नरसिंह के समक्ष समर्पण करता हूँ, जो सभी चीज़ों के मूल और सर्वोच्च शरण हैं।’

लाभ: यह एक शक्तिशाली मंत्र है जिसका नियमित जाप करने से लोगों को उनके ऋण और दिवालियापन से मुक्ति मिलेगी, चाहे वह कितना भी गंभीर और तीव्र क्यों न हो तथा किसी भी अन्य समस्याग्रस्त स्थिति के खिलाफ सुरक्षा मिलेगी।

 

💐 Dasavatara Stotra💐

  

“Tava kara-kamala-vare nakham adbhuta-srngam, 

dalita-hiranyakasipu-tanu-bhrngam, 

kesava dhrta-narahari-rupa jaya jagadisa hare ||” 

  

“तव करा-कमला-वरे नखम अद्भुत-श्रृंगम, 

दलित-हिरण्यकशिपु-तनु-भ्रंगम, 

केसव धृत-नरहरि-रूप जया जगदीसा हरे ||” 

  

अर्थ: हे केशव! हे जगत के स्वामी! हे हरि! आपने आधा मनुष्य और आधा सिंह का रूप धारण किया है, आपकी जय हो! जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने नाखूनों के बीच ततैया को आसानी से कुचल सकता है, उसी प्रकार आपके सुंदर कमल के हाथों के अद्भुत नुकीले नाखूनों द्वारा ततैया जैसे राक्षस हिरण्यकशिपु के शरीर को चीर दिया गया है।

 

  
🌻Kamasikashtakam🌻 

  
“Tvayi raksati raksakaih kimanyaih, 
tvayi caraksati raksakaih kimanyaih
iiti niscita dhih srayami nityam, 
nrhare vegavati taṭasrayam tvam॥” 

  

त्वयि रक्षति रक्षकैः किमन्यैः
त्वयि च रक्षति रक्षकैः किमन्यैः।
इति निश्चितधीः श्रयामि नित्यं
नृहरे वेगवतीटाश्रयं त्वाम्॥

  

अर्थ: ‘हे कामसिख नरसिंह! आप सर्वशक्ति हैं। जब आप किसी की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं, तो किसी और की रक्षा करने की क्या आवश्यकता है? जब आप किसी की रक्षा न करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं, तो कौन दूसरा व्यक्ति हमारी रक्षा करने में सक्षम है? कोई भी नहीं है। इस मूलभूत सत्य को जानकर, मैंने वेगवती नदी के तट पर आपके चरण कमलों में ही अपनी शरणागति अर्पित करने का संकल्प किया है।

 

🌲Divya Prabandham🌲

  
ādi ādi agaṃ karanda iṣaiḥ padyaṃ paṭhan kaṇṇīr mlānaḥ।
sarvatra nadya nadya nṛsiṃha iti vadan, vadan, imāṃ nutiṃ labhate॥

आदि आदि अगं करन्द इषैः पद्यं पठन् कण्णीर् म्लानः।
सर्वत्र नद्य नद्य नृसिंह इति वदन्, वदन्, इमां नुतिं लभते॥

  
अर्थ: ‘मैं आपके दर्शन के लिए अपने हृदय में नृत्य करूंगी और पिघल जाऊंगी, मैं खुशी के आंसुओं के साथ आपकी स्तुति में गाऊंगी, मैं नरसिंह की खोज करूंगी और मैं एक गृहस्थ हूं जो अभी भी आप तक पहुंचने (मोक्ष प्राप्त करने) की खोज कर रही हूं।’

  

🍀 Narasimha Gayatri Mantra🍀

  

“Om Nrisimhaye vidmahe vajranakhaya dhimahi tan no simhah Prachodayat | 

Vajra nakhaya vidmahe tikshna damstraya dhimahi tan no narasimhah Prachodayat ||” 

  

“ओम नृसिंहये विद्महे वज्रनाखय धीमहि तं नो सिंहः प्रचोदयात् | 

वज्र नखय विद्महे तीक्ष्ण दमस्त्रय धीमहि तं नो नरसिंहः प्रचोदयात् ||” 

  
अर्थ: ‘ओम! हमें बिजली के कीलों वाले नृसिंह के बारे में अच्छी तरह से जानना चाहिए। सिंह हमारे विचारों और कार्यों को बढ़ावा दें। आइए हम उनका ध्यान करें जिन्हें वज्र के समान कठोर कीलों और तीखे दांतों के स्वामी के रूप में जाना जाता है। आइए हम सभी भगवान नरसिंहदेव से उत्साहित हों।’

 
🙏Sri Narasimha Maha Mantra 🙏

  
“Ugram viram maha-vishnum jvalantam sarvato mukham | 

nrisimham bhishanam bhadram mrityur mrityum namamy aham ||” 

  

“उग्रं विरं महा-विष्णुम् ज्वलन्तं सर्वतो मुखम् |” 

नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युं मृत्युं नमाम्य अहम् ||” 

  
अर्थ : ‘मैं भगवान नरसिंह को नमन करता हूँ, जो भगवान विष्णु के समान क्रूर और वीर हैं। वे हर ओर से जल रहे हैं। वे भयानक, शुभ और मृत्यु के भी साक्षात स्वरूप हैं।’

🔶 Narasimha Prapatti:🔶 

  
“Mata narasimha, pita narasimha 
Bratha narasimha, sakha narasimha 
Vidyaa narasimha, dravinam narasimha 
Swami narasimha, sakalam narasimha 
Itho narasimha, paratho narasimha 
Yatho yatho yahihi, tatho narasimha 
Narasimha devaath paro na kaschit 
Tasmaan narasimha sharanam prapadye ||”
 

  
“माता नरसिम्हा, पिता नरसिम्हा 
ब्रथा नरसिम्हा, सखा नरसिम्हा 
विद्या नरसिम्हा, द्रविणं नरसिम्हा 
स्वामी नरसिम्हा, सकलम् नरसिम्हा 
इथो नरसिम्हा, परथो नरसिम्हा 
यथो यथो यिहि, तथो नरसिम्हा 
नरसिम्हा देवता परो न कश्चित् 
तस्मान् नरसिम्हा शरणं प्रपद्ये ||”
 

  

अर्थ: ‘माता नरसिंह है, पिता नरसिंह है,भाई नरसिंह है, मित्र नरसिंह है,ज्ञान नरसिंह है, धन नरसिंह है,मेरे भगवान नरसिंह हैं, सब कुछ नरसिंह है।नरसिंह इस संसार में हैं, नरसिंह सर्वत्र हैं (सर्वव्यापी)मैं जहां भी जाता हूं, वहां नरसिंह हैं,नरसिंह ही परमेश्वर हैं, उनके अलावा कोई नहीं है,अतः मैं विनम्रतापूर्वक आपकी शरण में आता हूं, श्री नरसिंह।’

लाभ: एक सरल श्लोक जो हर समय एक ‘महान सुरक्षा कवच’ के रूप में कार्य करता है।

***