हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ पार्वती देवी सती का अवतार थीं। देवी पार्वती ने भगवान शिव(Lord Shiva) से विवाह करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। माँ पार्वती ब्रह्मचर्य(celibacy), त्याग(renunciation), तपस्या और दृढ़ संकल्प(penance and determination) की देवी थीं। उनके इस रूप को माँ ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। उन्हें तपस्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है।
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आज नवरात्रि का दूसरा दिन(second day) है और इस दिन देवी दुर्गा माँ के दूसरे स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी(Maa Brahmacharini) की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी अपनी दृढ़ता(tenacity), त्याग(sacrifice), सादगी(simplicity), सौम्यता(gentleness), दृढ़ इच्छाशक्ति(strong will) और शांत स्वभाव(calmness) के लिए जानी जाती हैं। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, देवी ब्रह्मचारिणी की मूर्ति अपने बाएँ हाथ में कमंडल और दाएँ हाथ में जप की माला धारण करती है और सफ़ेद साड़ी(white saree) पहनती है। इसलिए चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन सफ़ेद कपड़े पहनने का महत्व है। देवी को शांति(peace) और पवित्रता(purity) का प्रतीक माना जाता है।
मां दुर्गा की सुंदर प्रतिमा या फोटो(photo), सिंदूर(Sindoor), केसर(Saffron), कपूर(Camphor), धूप(Dhoop), वस्त्र(Clothes), दर्पण(Mirror), कंघी(Comb), कंगन-चूड़ी(Bangle-Bangle), सुगंधित तेल(Fragrant Oil), बंदनवार आम के पत्तों का(Bandanwar of Mango leaves), पुष्प(Flower), दूर्वा(Durva), मेंहदी(Mehnd), बिंदी(Bindi), सुपारी साबुत(Whole Betel Nut), हल्दी की गांठ(Turmeric Knot) और पिसी हुई हल्दी(Ground Turmeric), पटरा(Patra), आसन(Asan), चौकी(Chowki), रोली(Roli), मौली(Mauli), पुष्पहार(Garland), बेलपत्र(Belpatra), कमलगट्टा(Kamalgatta), दीपक(Deepak), दीपबत्ती(Deepbatti), नैवेद्य(Naivedya), मधु(Honey), शक्कर(Sugar), पंचमेवा(Panchameva), जायफल(Nutmeg), लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां आदि।
ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।
पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर(Lord Shankar) को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।
कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।
कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं।
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ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।
Om Devi Brahmacharinya Namah.
Maa Brahmacharini Stuti
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Brahmacharini Rupena Samsthita ।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah ।।
Maa Brahmacharini Prartharna
दधाना कारा पद्मभ्यमक्षमाला कमंडलु ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।
Dadhana Kara Padmabhyamakshamala Kamandalu।
Devi Prasidatu Mayi Brahmacharinyanuttama ।।
Maa Brahmacharini stotr path:
तपश्चारिणी त्वन्हि तापत्रय निवारणिम ।
ब्रह्मरूपधारा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम् ।।
शंकरप्रिया त्वन्हि भुक्ति-मुक्ति दायिनी ।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्राणमाम्यहम् ।।
Tapashcharini Tvanhi Tapatray Nivaranim ।
Brahmaroopdhara Brahmacharini Pranamamyaham ।।
Shankarpriya Tvanhi Bhukti-Mukti Dayini ।
Shantida Gyanada Brahmacharini Pranamamyaham ।।
देवी ब्रह्मचारिणी की कथा भक्ति, दृढ़ता और आंतरिक शक्ति का एक अद्भुत उदाहरण है। उनकी कथा हमें याद दिलाती है कि सच्ची सफलता, चाहे आध्यात्मिक हो या भौतिक, अथक समर्पण और आत्म-अनुशासन से ही मिलती है। विकर्षणों से भरी इस दुनिया में, उनका प्रतीक हमें ज़मीन पर टिके रहने और जो वास्तव में मायने रखता है उस पर ध्यान केंद्रित करने का एक शक्तिशाली सबक देता है।