पापांकुशा एकादशी(Papankusha Ekadashi) हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (11वें दिन) को पड़ने वाला एक हिंदू व्रत है। इसी कारण से इस एकादशी को अश्विन-शुक्ल एकादशी भी कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में, यह सितंबर-अक्टूबर के महीनों के बीच मनाई जाती है।
पापांकुशा एकादशी भगवान विष्णु के अवतार भगवान पद्मनाभ को समर्पित है। इस दिन भक्त पूरी लगन और उत्साह के साथ भगवान पद्मनाभ(Lord Padmanabha) की पूजा करते हैं। पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से व्रती को भगवान पद्मनाभ का आशीर्वाद प्राप्त होगा और वह इस दुनिया के सभी सुखों का आनंद ले सकेगा।
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पापांकुशा एकादशी – शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025
पारण का समय – 4 अक्टूबर को सुबह 06:31 बजे से 08:53 बजे तक
पारण दिवस द्वादशी समाप्ति क्षण – शाम 05:09 बजे
एकादशी तिथि प्रारंभ – 02 अक्टूबर 2025 को शाम 07:10 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त – 03 अक्टूबर, 2025 को शाम 06:32 बजे
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पापांकुशा एकादशी(Papankusha Ekadashi) की महिमा का वर्णन ‘ब्रह्म वैवत्र पुराण(Brahma Vaivatra Purana)’ में किया गया है और इसे पापों से मुक्ति के लिए सबसे शुभ व्रत माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, महाराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से इस पवित्र दिन पर व्रत रखने के लाभों के बारे में बताने का अनुरोध किया था। ऐसा कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति पापांकुशा एकादशी का व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे अपने पापों से मुक्ति मिलती है और उसके बाद इस दुनिया से मोक्ष प्राप्त होता है। साथ ही, जब कोई व्यक्ति, चाहे वह किसी भी उम्र का हो, पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का नाम लेता है, तो उसे हिंदू तीर्थ स्थानों पर जाने के समान पुण्य प्राप्त होता है और उसे कभी भी यमराज के दर्शन नहीं करने पड़ते, जो मृत्यु के देवता हैं।
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क्या करें(Do’s) :
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भगवान विष्णु जी की स्तुति:
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
Shantakaram Bhujagashayanam Padmanabham Suresh
Vishwadharam Gaganasadrisham megh varn Shubhangam.
Lakshmi Kantam Kamalanayanam Yogibhirdhyanagamyam
Vande Vishnu Bhavabhayaharam Sarvlokaikanatham.
भगवान विष्णु के मंत्र:
ॐ नमोः नारायणाय नमः।
Om Namoh Narayanay Namah।
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः
Om Namo: Bhagwate Vasudevaya Namah।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
Om Narayana Vidmahe । Vasudevaya dhimahi । Tanno Vishnu: Prachodayat॥
ॐ विष्णवे नम:।
Om Vishnave Namah।
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पापांकुशा एकादशी(Papankusha Ekadashi) केवल उपवास ही नहीं, बल्कि अनुशासन, भक्ति और आत्मशुद्धि का भी प्रतीक है। यह भक्तों को भगवान विष्णु के साथ अपने बंधन को और मजबूत करने और धर्म के मार्ग पर चलने का अवसर प्रदान करती है। इस पवित्र दिन को सच्चे मन से मनाने से व्यक्ति न केवल सांसारिक सुख प्राप्त करता है, बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त करता है जो मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
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