होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी को साल की 24 एकादशियों में से आखिरी माना जाता है। उत्तर भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र महीने में 11वें दिन को पापमोचनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसे दक्षिण भारतीय कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, लेकिन यह दोनों कैलेंडर में एक ही दिन पड़ता है।
पाप और मोचनी दो शब्द मिलकर पापमोचनी शब्द बनाते हैं, पहले का अर्थ है ‘पाप‘ और दूसरे का अर्थ है ‘पाप को दूर करने वाला‘। पापमोचनी एकादशी पर व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है और जो भक्त इसका पालन करते हैं उनके सभी पाप क्षमा हो जाते हैं। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
***
पापमोचनी एकादशी -26 मार्च 2025, बुधवार
पारण का समय- 27 मार्च ,06:26 से 10:32 तक
एकादशी तिथि प्रारंभ – 25 मार्च 2025 को 05:05 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त – 26 मार्च, 2025 को 03:45 बजे
***
पापमोचनी एकादशी का महत्व ‘भविष्योत्तर पुराण’ और ‘हरिवासर’ में वर्णित है। इसे सबसे पहले ऋषि लोमश ने राजा मान्धाता को सुनाया था और फिर भगवान कृष्ण ने पांडवों में सबसे बड़े राजा युधिष्ठिर को सुनाया था। ऐसा माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी सभी पापों का नाश करती है और व्रती को अपराध बोध से भी मुक्त करती है। इस एकादशी को पूरी श्रद्धा के साथ करने से व्यक्ति पर कभी भी भूत-प्रेत का प्रभाव नहीं पड़ता।
पापमोचनी एकादशी का व्रत करना हिंदू तीर्थ स्थानों पर जाने या एक हजार गायों का दान करने से भी अधिक पुण्यदायी है। इस शुभ व्रत को करने वाले को सभी सांसारिक सुखों का आनंद मिलता है और अंततः भगवान विष्णु के स्वर्गलोक ‘वैकुंठ’ में स्थान मिलता है। पापमोचनी व्रत रखने का मुख्य उद्देश्य अपने शरीर की मांगों को नियंत्रित करना और भगवान विष्णु को समर्पित वैदिक मंत्रों का जाप, श्रवण और पाठ करने में पर्याप्त समय व्यतीत करना है।
***
***
***
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
om namo bhagavate vasudevay
ॐ नमोः नारायणाय नमः
Om Namoh Narayanay Namah
ॐ विष्णवे नम:।
Om Vishnave Namah.
ॐ नारायणाय नम:।
Om Narayanay Namah.
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
Shri Man Narayan Narayan Hari Hari.
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ।
Om Narayanaya Vidmahe Vasudevaya Dhimahi Tanno Vishnu Prachodayat.
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
Shri Krishna Govind Hare Murare. he Nath Narayan Vasudevay.
ॐ हूं विष्णवे नम:।
Om ham Vishnave Namah.
***
पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पाप का नाश करने वाली एकादशी। सभी एकादशियों का अपना-अपना महत्व होता है। लेकिन चैत्र मास की एकादशी को सभी एकादशियों से मुख्य और श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह एकादशी मनुष्य को उसके पापों से मुक्ति दिलाती है। इसलिए इसे पापमोचनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। पापमोचनी एकादशी के दिन किसी की निंदा करने और झूठ बोलने से बचना चाहिए। इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या, सोने की चोरी, शराब पीना, अहिंसा और भ्रूण हत्या समेत कई जघन्य पापों के दोष से मुक्ति मिलती है।
***