Shrimad bhagvat geeta (SBG)

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🌼 देवी कूष्माण्डा 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩देवी कूष्माण्डा 🚩

माँ कुष्मांडा के बारे में(About Maa Kushmanda)

                        माँ कुष्मांडा(Maa Kushmanda), देवी दुर्गा का चौथा अवतार हैंकुष्मांडानाम संस्कृत से लिया गया है, जिसमेंकुका अर्थथोड़ा“, “ऊष्माका अर्थगर्मीऔरअंडाका अर्थब्रह्मांडीय अंडाहोता हैउनके आठ से दस हाथ हैं, जिनमें त्रिशूल(trident), चक्र(discus), तलवार(sword), हुक(hook), गदा(mace), धनुष(bow), बाण(arrow) और अमृत (अमृत) और रक्त के दो घड़े हैंउनका एक हाथ हमेशा अभयमुद्रा पर रहता है, जिससे वे अपने सभी भक्तों को आशीर्वाद देती हैं 

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 🌻 माँ कुष्मांडा की उत्पत्ति(Origin of Maa Kushmanda) 🌻

                         देवी सिद्धिदात्री का रूप धारण करने के पश्चात्, ब्रह्माण्ड को ऊर्जा प्रदान करने हेतु देवी पार्वती सूर्य मण्डल के मध्य निवास करने लगींइसके पश्चात् से ही देवी को कूष्माण्डा के नाम से जाना जाता हैकूष्माण्डा वह देवी हैं, जिनमें सूर्य के अन्दर निवास करने की शक्ति एवं क्षमता हैदेवी माता की देह की कान्ति एवं तेज सूर्य के समान दैदीप्यमान है 

               
नवरात्रि पूजा(Navaratri Puja)नवरात्रि के चतुर्थ दिवस(fourth day) पर देवी कूष्माण्डा(Goddess Kushmanda) की पूजा-अर्चना की जाती है  

 

शासनाधीन ग्रह(Ruled Planets): मान्यताओं के अनुसार, देवी कूष्माण्डा सूर्य ग्रह को दिशा एवं ऊर्जा प्रदान करती हैंअतः भगवान सूर्य देवी कूष्माण्डा द्वारा शासित होते हैं 

  
स्वरूप वर्णन(Description of the form): देवी सिद्धिदात्री( Goddess Siddhidatri) सिंही पर सवार हैंदेवी को अष्टभुजाधारी रूप में दर्शाया गया हैउनके दाहिने हाथों में कमण्डलु(kamandalu), धनुष(bow), बाण(arrow) एवं कमल तथा बायें हाथों में क्रमशः अमृत कलश, जप माला(Japa Mala), गदा एवं चक्र सुशोभित हैं 

 

विवरण(Description): देवी कूष्माण्डा(Goddess Kushmanda) की आठ भुजायें हैं, अतः उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। भक्तों की मान्यता है कि, सिद्धियाँ तथा निधियाँ प्रदान करने की समस्त शक्ति देवी माँ की जप माला में विद्यमान है। 

  

                                यह वर्णित है कि, देवी माता ने अपनी मधुर मुस्कान से सम्पूर्ण संसार की रचना की, जिसे संस्कृत में ब्रह्माण्ड कहा जाता है। देवी माँ को श्वेत कद्दू की बली अति प्रिय है, जिसे कुष्माण्डा के नाम से जाना जाता है। ब्रह्माण्ड तथा कूष्माण्ड से सम्बन्धित होने के कारण, देवी का यह रूप देवी कूष्माण्डा(Devi Kushmanda) के नाम से लोकप्रिय हैं। 

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🪴 Maa Kushmanda Puja Vidhi🪴

 

  • On this day, we worship the Kalash, and the deities present in it.

     

  • Then worship the deities sitting on both sides of the idol of the Goddess.

     

  • After worshipping them, worship Goddess Kushmanda.

     

  •  Before starting the worship process, bow down to the Goddess with flowers in your hands and meditate on this mantra: 

 

‘Surasampurnakalasham rudhiraplutmeva cha. 

Dadhana hastapadmaabhyam Kushmanda shubhdastu me. 

  • After this, do Saptashati Mantra, Upasana Mantra, Kavach and finally Aarti.

     

  •  After doing Aarti, do not forget to pray for forgiveness from the Goddess.

     

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🌏 मां कूष्मांडा का प्रिय भोग(
Maa Kushmanda’s favourite offering) 🌏


                           मां कूष्मांडा को पूजा के समय हलवा(halwa), मीठा दही(sweet curd) या मालपुए(malpua) का प्रसाद चढ़ाना चाहिए और इस भोग को खुद तो ग्रहण करें ही साथ ही ब्राह्मणों को भी दान देना चाहिए 

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🍁  मां कूष्मांडा का प्रिय फूल और रंग(
Maa Kushmanda’s
favourite flower and colour) 🍁

                        मां कूष्मांडा को लाल रंग( red colour) प्रिय है, इसलिए पूजा में उनको लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल, लाल गुलाब आदि अर्पित कर सकते हैं, इससे देवी प्रसन्न होती हैं 


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🪴 मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व(Importance of worshipping Maa Kushmanda) 🪴

          

                          देवी कूष्माण्डा अपने भक्तों को रोग,शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। जिस व्यक्ति को संसार में प्रसिद्धि की चाह रहती है, उसे मां कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। देवी की कृपा से उसे संसार में यश की प्राप्ति होगी। 

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💐  मां कुष्मांडा की पावन कथा The holy story of Maa Kushmanda 💐

                        सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि त्रिदेवों ने चिरकाल में सृष्टि की रचना करने की कल्पना की। उस समय समस्त ब्रह्मांड में घोर अंधेरा छाया हुआ था। न राग, न ध्वनि, केवल सन्नाटा था। त्रिदेवों ने जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा से सहायता ली। 

  
                      मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कुष्मांडा ने तत्क्षण अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। उनके मुखमंडल से निकले प्रकाश ने समस्त ब्रह्मांड को प्रकाशमान कर दिया। इसी कारण उन्हें मां कुष्मांडा कहा जाता है। 

  
                      मां का निवास सूर्य लोक में है। शास्त्रों में कहा जाता है कि मां कुष्मांडा के मुखमंडल से निकला तेज ही सूर्य को प्रकाशमान करता है। वे सूर्य लोक के अंदर और बाहर, सभी जगह निवास कर सकती हैं। 

  
                      मां के मुख पर तेजोमय आभा प्रकट होती है, जो समस्त जगत का कल्याण करती है। उनका तेज सूर्य के समान कांतिमय है, और इसे धारण करने की क्षमता केवल जगत जननी आदिशक्ति मां कुष्मांडा में ही है। 

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🌻Mantras of Maa Kushmanda 
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Prayer Mantra of the Goddess Kushmanda

  

सुरा सम्पूर्णकलशम् रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे।

 

Sura Sampoornakalasham Rudhiraplutmeva Cha. 

 Dadhana Hastapadmaabhyam Kushmanda Shubhdaastu Me. 

  

Beej Mantra of Goddess Kushmanda 

  

ऐं ह्रीं देवायै नम:।

Aim Hree Devayai Namah: 

 

Pooja mantra  

 

“ॐ कुष्माण्डायै नमः”

“Om Kushmandayai Namah” 

 

Aarti Devi Kushmanda Ji Ki ॥ 

  
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥  

पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी माँ भोली भाली॥  

लाखों नाम निराले तेरे । भक्त कई मतवाले तेरे॥  

भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥  

सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥  

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥ 

माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥ 

तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो माँ संकट मेरा॥  

मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥ 

तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥ 

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🍁 निष्कर्ष(Conclusion) 🍁


                             माँ कूष्मांडा कायाकल्प, पोषण और स्थिरता का प्रतीक हैं, जिसकी हम सभी अपने जीवन में कहींकहीं तलाश करते हैंइसलिए इस नवरात्रि, शांति, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य के लिए माँ कूष्मांडा की दिव्य कृपा प्राप्त करने हेतु पूर्ण आस्था और भक्ति के साथ उनकी पूजा करें 

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