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🌼 जया एकादशी 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩 जया एकादशी 2025 🚩

जया एकादशी के बारे में(About Jaya Ekadashi):

            जया एकादशी एक व्रत है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार ‘माघ’ महीने में शुक्ल पक्ष (चंद्रमा का उज्ज्वल पखवाड़ा) के दौरान ‘एकादशी’ तिथि पर मनाया जाता है। अगर आप ग्रेगोरियन कैलेंडर का पालन करते हैं तो यह जनवरी-फरवरी के महीनों के बीच आता है। ऐसा माना जाता है कि अगर यह एकादशी गुरुवार को पड़ती है, तो यह और भी शुभ होती है। यह एकादशी भगवान विष्णु के सम्मान में भी मनाई जाती है, जो तीन मुख्य हिंदू देवताओं में से एक हैं। 


             
जया एकादशी का व्रत लगभग सभी हिंदू, खासकर भगवान विष्णु के अनुयायी उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रखते हैं। यह भी एक लोकप्रिय मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जया एकादशी को दक्षिण भारत के कुछ हिंदू समुदायों, खासकर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के राज्यों में ‘भौमी एकादशी’ और ‘भीष्म एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। 

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🕰️jaya Ekadashi 2025 
Date & Time:📅


जया एकादशी शनिवार, फरवरी 8, 2025 

पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 9वाँ फरवरी को, 07:03 ए एम से 09:19 ए एम 

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 07:25 पी एम 

एकादशी तिथि प्रारम्भ – फरवरी 07, 2025 को 09:26 पी एम बजे 

एकादशी तिथि समाप्त – फरवरी 08, 2025 को 08:15 पी एम बजे 

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🔰जया एकादशी का महत्व(Significance Of Jaya Ekadashi):
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               जया एकादशी का महत्वपद्म पुराणऔरभविष्योत्तर पुराणमें वर्णित हैभगवान कृष्ण ने पाँच पांडवों में सबसे बड़े राजा युधिष्ठिर को एकादशी व्रत का महत्व और विधि बताई थीजया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति कोब्रह्म हत्याजैसे सबसे जघन्य पापों से मुक्ति मिलती हैजया एकादशी का बहुत महत्व है क्योंकि यह भगवान विष्णु को समर्पित है औरमाघका महीना जिसमें यह आता है, भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ होता हैइसलिए, भगवान शिव और भगवान विष्णु के भक्तों के लिए जया एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है 

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🍀 जया एकादशी पूजा विधि(Jaya  Ekadashi  Puja Vidhi):🍀
 
  • जया एकादशी का व्रत करने वालों को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। 

  • फिर पूजा स्थल को पूरी तरह से साफ करके गंगाजल या पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। 

  • विष्णु और कृष्ण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। 

  • मूर्ति स्थापित करने के तुरंत बाद पूजा शुरू कर देनी चाहिए। 

  • पूजा करते समय भगवान कृष्ण के गीत, विष्णु सहस्रनाम और नारायण स्तोत्र का जाप करें। 

  • देवी को प्रसाद, नारियल, जल, तुलसी, फल, अगरबत्ती और फूल चढ़ाएं। 

  • पूजा के दौरान मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। 

  • अगले दिन द्वादशी को पूजा के बाद ही पारण करना चाहिए। 

  • द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें जनेऊ और सुपारी दें। जया एकादशी की इस रस्म को पूरा करने के बाद ही भोजन करें। 

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Mantras of Jaya  Ekadashi:
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 विष्णु मूल मंत्र(Vishnu Mool Mantra) 

ॐ नमोः नारायणाय॥ 

Om Namo Narayanay॥ 

 
भगवते वासुदेवाय मंत्र(Bhagwate Vasudevaya Mantra) 

 ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥ 

 Om Namo: Bhagwate Vasudevaya. 

  
विष्णु गायत्री मंत्र (Vishnu Gayatri Mantra) 

 ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ 

Om Shri Vishnuve Cha Vidmahe Vasudevay Dhimahi. Tanno Vishnu: Prachodayat. 

  
 श्री विष्णु मंत्र (Shri Vishnu Mantra) 

मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः। मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥ 

Mangalam bhagvan Vishnu, Mangalam Garundhwaj. Mangalam Pundri Kaksha, Mangalay Tano Hari. 

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💐निष्कर्ष(Conclusion) 💐

               
                हिंदू
पौराणिक कथाओं के अनुसार जया एकादशी के दिन व्यक्ति को अपने मन में द्वेष नहीं रखना चाहिए तथा भगवान विष्णु की पूरे मन से आराधना करनी चाहिएद्वेष, छल-कपट और वासना की भावना को कभी भी मन में नहीं लाना चाहिएइस दौरान नारायण स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी काफी लाभकारी होता हैइस व्रत को विधि-विधान से करने वाले पर माता लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु की कृपा बरसती है 

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