Shrimad bhagvat geeta (SBG)

Latest Post

🌼 मां सिद्धिदात्री 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩मां सिद्धिदात्री 🚩

माँ सिद्धिदात्री के बारे में(About Maa Siddhidatri)

                             देवी सिद्धिदात्री(Maa Siddhidatri) माँ दुर्गा का नौवाँ और अंतिम रूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है और उनके नाम का अर्थ हैअलौकिक शक्तियों या सिद्धियों की दाता“। उन्हें चार भुजाओं वाली, शंख, कमल, गदा और चक्र धारण किए हुए, कमल पुष्प पर विराजमान दिखाया गया है, जो धन, सफलता और सभी प्रकार की दिव्य शक्तियाँ प्रदान करती हैं, जिनमें भगवान शिव को उनकी पूजा से प्राप्त शक्तियाँ भी शामिल हैं 

***

 

 

 🌻 देवी श्री सिद्धिदात्री का महत्व(Significance of Goddess Sri Siddhidatri)🌻
 

 
                          सिद्धिदात्री(Siddhidatri) मां कमल के फूल पर विराजमान हैं, जबकि उनका रथ सिंह है। वह लाल वस्त्र पहनती हैं और उनके चार हाथ हैं। उनके निचले बाएं हाथ में कमल(lotus) का फूल है, जबकि ऊपरी बाएं हाथ में शंख(Shankha) है। उनके ऊपरी दाहिने हाथ में चक्र है, जबकि निचले दाहिने हाथ में गदा है। 

  
                       सिद्धिदात्री का अर्थ है – “सिद्धि” का अर्थ है पूर्णता जबकि “दात्री” का अर्थ है “देने वाली” इसलिए उन्हें माता सिद्धिदात्री के रूप में पहचाना जाता है। 

  
                           वह अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ (पूर्णता) प्रदान करती हैं, इसलिए उन्हें सिद्धिदात्री माँ के नाम से जाना जाता है। माँ सिद्धिदात्री का दूसरा नाम देवी लक्ष्मी है, जो धन, सुख और सफलता का प्रतिनिधित्व करती हैं। आप हमारे विशेषज्ञ पंडितों द्वारा आपके लिए ऑनलाइन की जाने वाली लक्ष्मी पूजा के साथ देवी लक्ष्मी के सभी आठ रूपों को प्रसन्न कर सकते हैं और अपने जीवन में धन और समृद्धि ला सकते हैं। 

      ***

 

🪴 माँ सिद्धिदात्रीकी पूजा विधि(Maa Siddhidatri Puja Vidhi)🪴

 

  • यह नवरात्रि पूजा का आखिरी दिन है, इस दिन को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। 

  • इस दिन नौ फूल, नौ अलग-अलग तरह के फल, नौ अलग-अलग तरह के सूखे मेवे भी चढ़ाए जाते हैं। 
  • दिन की शुरुआत में सबसे पहले कलश पूजा की जाती है। इससे दिन की सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है। मेरु पृष्ठ श्री यंत्र की पूजा करने से भी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। 

  • फिर कलश पूजा के दौरान नीचे दिए गए मंत्र का जाप किया जाता है। दरअसल, देश के कुछ हिस्सों में इस मंत्र का नौ बार जाप किया जाता है। 

  • फिर नौ कन्याओं को, जो आमतौर पर दस साल से कम उम्र की होती हैं, आमंत्रित किया जाता है और उन्हें भोजन और वस्त्र दिए जाते हैं। यह कन्या रूप में देवी की पूजा का प्रतीक है। 

  • अंत में, माँ सिद्धिदात्री की आरती की जाती है और इन कन्याओं को उत्सव के समापन के लिए ले जाया जाता है। 

  • नवरात्रि के नौवें दिन रामलीला कार्यक्रम भी समाप्त हो जाते हैं जबकि दसवें दिन दुनिया भर में दशहरा मनाया जाता है। 
***

🌏 
सिद्धिदात्री की आठ सिद्धियाँ क्या हैं(What are the eight Siddhis of Siddhidatri)? 🌏
               

         
                      माँ सिद्धिदात्री के आठ सिद्धियाँ हैं – अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।
 

अणिमा(Anima) – अणु के आकार तक सिकुड़ने की शक्ति – भगवान हनुमान ने लंका द्वीप में बिना किसी की जानकारी के सीता की खोज के लिए स्वयं को सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर लिया था।

महिमा(Mahima) – विशाल आकार प्राप्त करने की शक्ति – एक बार फिर, भगवान हनुमान ने लंका द्वीप को जलाकर राख करने के लिए स्वयं का एक विशाल रूप धारण किया था। भगवान विष्णु ने भी अपने वामन अवतार में विशाल रूप धारण किया था। तीन कदमों से वे तीनों लोकों को नापने में सक्षम थे।

गरिमा(Garima) – बहुत भारी होने की शक्ति ।


लघिमा(Laghima) – बहुत हल्का होने की शक्ति ।

प्राप्ति(Prapti) – किसी भी समय अपनी इच्छानुसार कुछ भी प्राप्त करने की शक्ति ।

प्राकम्ब्य(Prakambya) – उड़ने से लेकर पानी पर चलने तक, अपनी इच्छानुसार कुछ भी करने की शक्ति ।

ईशत्व(Ishatva) – सृष्टि के सभी तत्वों पर शक्ति ।

वशित्व(Vashitva) – सभी प्राकृतिक शक्तियों को नियंत्रित करने की शक्ति, और जीवन-मृत्यु पर शक्ति ।

  
                            जब हम उनकी प्रार्थना करते हैं, तो वे हमें आशीर्वाद देती हैं और हमारी सबसे प्रबल इच्छाएँ पूरी करती हैं। यह भी माना जाता है कि योग और ध्यान हमारे भीतर आध्यात्मिक शक्तियों को बढ़ाने में मदद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव को अपने कर्तव्यों को पूरा करने में मदद करने के लिए ये सिद्धियाँ प्रदान की थीं। इसके अतिरिक्त उन्होंने उन्हें नौ निधियाँ और दस प्रकार की अलौकिक शक्तियाँ भी प्रदान कीं। 
 

  ***


🌹
माता सिद्धिदात्री का भोग(B
hog for Maa Siddhidatri 🌹

 

                 नौवें दिन माता सिद्धिदात्री को हलवा(halwa), पूड़ी(puri), काले चने(black gram), मौसमी फल(seasonal fruits), खीर(kheer) और नारियल(coconut) का भोग लगाया जाता है। माता की पूजा करते समय बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ रहता है। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है। 

***

🍁 मातासिद्धिदात्रीकी कथा(Maa Siddhidatri Vrat Katha)
🍁


                            पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मांड पूरी तरह से अंधेरे से भरा हुआ एक विशाल शून्य था। दुनिया मे कहीं भी किसी प्रकार का कोई संकेत नहीं था तब उस अंधकार से भरे हुए ब्रह्मांड मे ऊर्जा का एक छोटा सा पुंज प्रकट हुआ। देखते ही देखते उस पुंज का प्रकाश चारों ओर फैलने लगा, फिर उस प्रकाश के पुंज ने आकार लेना शुरू किया और अंत मे वह एक दिव्य नारी के आकार मे विस्तृत होकर रुक गया। वह प्रकाश पुंज देवी महाशक्ति के आलवा कोई और नहीं था। 

  
                       सर्वोच्च शक्ति ने प्रकट होकर त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी) को अपने तेज़ से उत्तपन्न किया और तीनों देवों को इस सृष्टि को सुचारु रूप से चलाने के लिए अपने-अपने कर्तव्यों के निर्वाहन के लिए आत्मचिंतन करने को कहा। 

 
                             देवी के कथनानुसार तीनों देव आत्मचिंतन करते हुए जगतजननी से मार्गदर्शन हेतु कई युगों तक तपस्या मे लीन रहें। अंतत: उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महाशक्ति ‘माँ सिद्धिदात्री’ (Siddhidatri) के रूप मे प्रकट हुईं। देवी ‘माँ सिद्धिदात्री’ ने ब्रह्माजी को सरस्वती जी, विष्णुजी को लक्ष्मी जी और शिवजी को आदिशक्ति प्रदान किया। 

  
                                ‘माँ सिद्धिदात्री’ ने ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना का भर सौंपा, विष्णु जी को सृष्टि के पालन का कार्य दिया और महादेव को समय आने पर सृष्टि के संहार का भार सौंपा। ‘माँ सिद्धिदात्री’ ने तीनों देवों को बताया की उनकी शक्तियाँ उनकी पत्नियों मे हैं जो उनके कार्यनिर्वाहन मे उनकी सहायता करेंगी। उन्होने त्रिदेवों को दिव्य-चमत्कारी शक्तियाँ भी प्रदान की जिससे वो अपने कर्तव्यों को पूरा करने मे सक्षम हो सकें। देवी ने उन्हें आठ अलौकिक शक्तियाँ प्रदान की। 

  
                           इस तरह दो भागों नर एवं नारी, देव-दानव, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा दुनिया की कई और प्रजातियों का जन्म हुआ। आकाश असंख्य तारों, आकाशगंगाओं और नक्षत्रों से जगमगा उठा। पृथ्वी पर महासागरों, नदियों, पर्वतों, वनस्पतियों और जीवों की उत्पत्ति हुई। इस प्रकार ‘माँ सिद्धिदात्री’ की कृपा से सृष्टि की रचना, पालन और संहार का कार्य संचालित हुआ। 

  
                                एक अन्य कथा के अनुसार जब पृथ्वी पर दानव महिषासुर का उत्पात बहुत बढ़ गया था तब सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शरण मे जाते हैं, तत्पश्चात सभी देवों के तेज़ से माता सिद्धिदात्री प्रकट होती हैं और ‘दुर्गा’ रूप मे महिषासुर का वध करके समस्त सृष्टि की रक्षा करती हैं। 

***

🌻Mantras of Maa Siddhidatri
🌻

 

  ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥ 

Om Devi Siddhidatryai Namah॥ 

  
Prarthana: 

  
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। 

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥ 

  
Siddha Gandharva Yakshadyairasurairamarairapi। 

Sevyamana Sada Bhuyat Siddhida Siddhidayini॥ 

  
Stuti: 

  
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।  

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ 

  
Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Siddhidatri Rupena Samsthita। 

Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥ 

॥  आरती देवी सिद्धिदात्री जी की ॥ 

  

जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥ 

 तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥ 

 कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥ 

 तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥ 

 रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥ 

 तू सब काज उसके करती है पूरे।कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥ 

 तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥ 

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥ 

 हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥ 

 मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥ 

 ***


🍁 निष्कर्ष(Conclusion)🍁

                                  माना जाता है कि देवी सिद्धिदात्री(Goddess Siddhidatri) की पूजा करने से भक्तों को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है और वे अज्ञानता और बुराई के मार्ग से हट जाते हैंइसलिए, इस नवरात्रि, दुर्गा माता के नौ सर्वोच्च रूपों की पूजा करें और शक्ति प्राप्त करें, तथा जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए देवी से मार्गदर्शन प्राप्त करें 

***