माँ कात्यायनी(Maa Katyayani), देवी दुर्गा(goddess Durga) का एक शक्तिशाली अवतार हैं, जिन्हें राक्षस राजा महिषासुर पर विजय के लिए महिषासुरमर्दिनी(Mahishasurmardini) के रूप में जाना जाता है। अक्सर शेर की सवारी करते हुए चित्रित की जाती हैं, उनके बाएं हाथ में तलवार और कमल होता है, जबकि उनके दाहिने हाथ में अभय और वरद मुद्राएँ होती हैं, जो सुरक्षा और आशीर्वाद का प्रतीक हैं। कात्यायनी को बुरी शक्तियों को हराने वाली के रूप में पूजा जाता है। वामन पुराण के अनुसार, महिषासुर के अत्याचारों से क्रोधित दैवीय प्राणियों ने माँ कात्यायनी को बनाने के लिए अपनी सामूहिक ऊर्जा को प्रवाहित किया। यह शक्तिशाली ऊर्जा कात्यायन ऋषि के आश्रम में प्रकट हुई, जिन्होंने इसे देवी के विकराल रूप में ढाला। यही कारण है कि उन्हें कात्यायनी के नाम से भी जाना जाता है, जो ऋषि कात्यायन से उनके संबंध को दर्शाता है।
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माँ कात्यायनी(Maa Katyayani) बृहस्पति ग्रह से जुड़ी हैं और बुद्धिमत्ता और शांति के गुणों का प्रतीक हैं। माना जाता है कि उनके दिव्य आशीर्वाद से भक्तों के पाप धुल जाते हैं, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और बाधाएं दूर होती हैं। नवरात्रि के दौरान, अविवाहित लड़कियां मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए समर्पित दिन पर उपवास(fast) रखती हैं, और अपनी पसंद का उपयुक्त जीवनसाथी पाने के लिए उनका आशीर्वाद मांगती हैं।
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🪴 मां कात्यायनी की पूजा(Maa Katyayani Puja Vidhi)🪴
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन, भक्त अपनी पूजा अनुष्ठानों के हिस्से के रूप में विशेष भोग के रूप में शहद(honey) चढ़ाकर देवी कात्यायनी, मां दुर्गा के छठे स्वरूप का सम्मान करते हैं।
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पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए मां भगवती(Maa Bhagwati) की कठोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से मां भगवती प्रसन्न हुई और उन्हें साक्षात दर्शन दिए। कात्यायन ऋषि ने मां के सामने अपनी इच्छा प्रकट की, इसपर मां भगवती ने उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। एक बार महिषासुर नाम के एक दैत्य का अत्याचार प्रितिदित तीनों लोकों पर बढ़ता ही जा रहा था। इससे सभी देवी-देवता परेशान हो गए।
तब त्रिदेव – ब्रह्मा(Brahma), विष्णु(Vishnu) और महेश(Mahesh) अर्थात भगवान शिव के तेज से देवी को उत्पन्न किया जिन्होने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। महर्षि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण उन्हें कात्यायनी(Katyayani) नाम दिया गया। माता रानी के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां कात्यायनी की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की। इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर का वध किया और तीनों लोकों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।
माना जाता है कि छठे नवरात्रि की देवी कात्यायनी, अविवाहित लड़कियों को मनचाहा जीवनसाथी प्रदान करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि विवाह के लिए कात्यायनी मंत्र के साथ-साथ “ॐ कात्यायनी महामाये” मंत्र का 108 बार जाप करने से अविवाहित महिलाएं अपने सबसे अनुकूल जीवनसाथी से विवाह की मनोकामना पूरी कर सकती हैं। ये मंत्र अत्यधिक प्रभावशाली माने जाते हैं। वैवाहिक समस्याओं से जूझ रहे विवाहित जोड़े भी अपने रिश्ते में शांति और प्रेम बहाल करने के लिए कात्यायनी माता मंत्र का जाप कर सकते हैं।
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
Om Devi Katyayanyai Namah॥
Prarthana:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
Chandrahasojjvalakara Shardulavaravahana।
Katyayani Shubham Dadyad Devi Danavaghatini॥
Stuti:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Ya Devi Sarvabhuteshu Ma Katyayani Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥
॥ Aarti Devi Katyayani Ji Ki ॥
Jai Jai Ambe Jai Katyayani।Jai Jaga Mata Jaga Ki Maharani॥
Baijanatha Sthana Tumhara।Vahavara Dati Nama Pukara॥
Kai Nama Hai Kai Dhama hai।Yaha Sthana Bhi To Sukhadhama Hai॥
Hara Mandira Mein Jyota Tumhari।Kahi Yogeshwari Mahima Nyari॥
Hara Jagaha Utsava Hote Rahte।Hara Mandira Mein Bhagata Hai Kahate॥
Katyani Rakshaka Kaya Ki।Granthi Kate Moha Maya Ki॥
Jhute Moha Se Chhudane Vali।Apana Nama Japane Vali॥
Brihaspativara Ko Puja Karie।Dhyana Katyani Ka Dhariye॥
Hara Sankata Ko Dura Karegi।Bhandare Bharapura Karegi॥
Jo Bhi Maa Ko Bhakta Pukare।Katyayani Saba Kashta Nivare॥
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माँ कात्यायनी दिव्य न्याय(justice), योद्धा भावना(warrior spirit) और आंतरिक अग्नि(inner fire) की प्रतिमूर्ति हैं। छठे दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति को जीवन की चुनौतियों का साहस और भक्ति के साथ सामना करने की शक्ति मिलती है। वे हार्दिक मनोकामनाएँ पूरी करती हैं, आत्मा को बल प्रदान करती हैं और धार्मिक जीवन और सौहार्दपूर्ण संबंधों का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।