Shrimad bhagvat geeta (SBG)

Latest Post

🌼 माँ चंद्रघंटा 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩 माँ चंद्रघंटा 🚩

माँ चंद्रघंटा के बारे में(About Maa Chandraghanta)

                   नवरात्रि के तीसरे दिन(third day) मां चंद्रघंटा(Maa Chandraghanta) पूजा-आराधना की जा जाती हैंदेवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक(peaceful) और कल्याणकारी(beneficial) हैइसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिएउनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला हैइस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र हैइसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है

***

 

 

 🌻 चंद्रघंटा का महत्व(Significance of Maa Chandraghanta)  🌻

                           देवी चंद्रघंटा की वीरता(bravery) और सुरक्षा(protection) का प्रतीक भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने तक फैला हुआ है, जो व्यक्तियों को साहस और आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है। 

  

                       नवरात्रि के तीसरे दिन, चंद्रघंटा(Chandraghanta) की पूजा भक्तों में साहस और शक्ति का संचार करने वाली मानी जाती है। उनकी सुरक्षात्मक आभा और निडरता जीवन की चुनौतियों का सामना करने में प्रेरणा का स्रोत है। जब वे चंद्रघंटा को अपनी भक्ति अर्पित करते हैं, तो उन्हें अपनी आध्यात्मिक यात्रा और दैनिक जीवन में वीरता और लचीलेपन के महत्व की याद दिलाई जाती है। 

***

🪴 माँ चंद्रघंटा पूजा विधि(Maa Chandraghanta Puja Vidhi) 🪴

  • सबसे पहले नहा-धोकर पूजा घर साफ कर लें।  

  • देवी की स्थापित मूर्ति को गंगाजलन या फिर केसर(saffron) और केवड़ा से स्नान कराएं।
     
  • इसके उपरांत देवी को सुनहरे रंग के वस्त्र धारण कराएं। 

  • तदोपरांत, देवी मां को कमल(lotus) और पीले गुलाब(yellow roses) की माला अर्पित करें।  

  • फिर मिठाई, पंचामृत और मिश्री का भोग लगाएं। जो लोग दुर्गा पाठ करते हैं, वो चालीसा, स्तुति अथवा सप्तशती का पाठ करें। 
***

🌏
माँ चंद्रघंटा कौन हैं(Who Is Maa Chandraghanta)?🌏

                         माँ चंद्रघंटा(Maa Chandraghanta) देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। देवी का एक अधिक शांत रूप, वे शांति, शांति और पवित्रता से जुड़ी हैं। भक्तों का मानना है कि वे पापियों को क्षमा प्रदान कर सकती हैं, कष्टों का निवारण कर सकती हैं, तनावग्रस्त/अशांत आत्माओं को शांत कर सकती हैं और अशुभ ऊर्जा को दूर कर सकती हैं। 

  

                          संस्कृत में, चंद्रघंटा नाम का अर्थ है “घंटी के आकार का आधा चाँद।” देवी आकर्षक दिखती हैं, क्योंकि वे एक बाघिन के ऊपर राजसी ढंग से बैठी हैं। उनके दस हाथ हैं, जिनमें से प्रत्येक में कमल का फूल(lotus flower), त्रिशूल(a trishul), कमंडल(kamandala), तीर(arrow), धनुष(Dhanush) और जप माला(Japa Mala) जैसी अलग-अलग वस्तुएँ हैं। वे घंटी के आकार के आधे चाँद जैसी आकृति में दिखाई देती हैं। उनका पाँचवाँ दाहिना हाथ अभय मुद्रा (आश्वासन का संकेत) में उठा हुआ है, जबकि उनका पाँचवाँ बायाँ हाथ वरद मुद्रा में है। 

 ***

🪴 देवी चंद्रघंटा: महिषासुर पर विजय की कथा(Devi Chandraghanta: The Tale of Triumph Over Mahishasura):  🪴

                   देवी पुराण में वर्णित है कि एक बार देवताओं और शक्तिशाली दैत्य राजा महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। उनके अथक प्रयासों के बावजूद, देवता पराजित हुए और महिषासुर ने इंद्र के सिंहासन पर कब्ज़ा कर लिया और ब्रह्मांड पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। देवता असहाय हो गए और उनका भाग्य अधर में लटक गया। 

  
                     अपनी संकट की घड़ी में, इंद्र और अन्य देवता त्रिदेवों – ब्रह्मा(Brahma), विष्णु(Vishnu) और महेश(Mahesh) – की ओर मुड़े। उन्होंने अपनी विपत्ति की कहानी सुनाई और बताया कि कैसे दैत्य राजा ने स्वर्ग को बंदी बना लिया था और उन्हें अपना दिव्य निवास छोड़कर पृथ्वी पर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था। 

  
                      उनकी दुर्दशा से व्यथित होकर, त्रिदेवों ने एक शक्तिशाली ऊर्जा उत्सर्जित की, जो एक भव्य देवी के रूप में प्रकट हुई। बाद में उनकी दस भुजाएँ विभिन्न देवी-देवताओं के दिव्य अस्त्रों से सुसज्जित हो गईं, जिनमें भगवान शिव का त्रिशूल, भगवान विष्णु का चक्र और अन्य अस्त्र शामिल थे। स्वयं इंद्र अपने ऐरावत (हाथी) से अवतरित हुए और उन्होंने अपना वज्र (वज्र) और घंटा प्रदान किया। सूर्यदेव ने उन्हें अपनी दीप्तिमान किरणें, एक चमचमाती तलवार और एक भयंकर सिंह को उनकी सवारी के रूप में प्रदान किया। 

  
                       इन दिव्य वरदानों से शक्ति प्राप्त कर, देवी ने महिषासुर और उसकी सेना का सामना किया। एक तीव्र और निर्णायक प्रहार में, देवी चंद्रघंटा ने उन सभी को परास्त कर दिया। दैत्य राजा और उसके कुल का अंत हुआ, और देवी चंद्रघंटा ने अपनी अदम्य शक्ति से देवताओं को उनके भय से मुक्त किया और धर्म की व्यवस्था को पुनर्स्थापित किया। 

  
                         अच्छाई और बुराई के बीच यह महाकाव्य युद्ध, दुष्टता पर धर्म की विजय और दिव्य शक्ति एवं सुरक्षा के प्रतीक के रूप में चंद्रघंटा के उद्भव को दर्शाता है।

***

🌻Mantras of Maa Chandraghanta 🌻


ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः॥

Om Devi Chandraghantaayai Namah.

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Chandraghanta Rupan Sansthita.
Namastesyaye Namastesyaye Namastesyaye Namo Namah॥

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

Pindaj pravararudha chandakopastrakairiuta.
Prasadam Tanute Mahay Chandraghanteti Vishruta॥

ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
Ain Shreem Shaktaayi Namah.

***

🍁 निष्कर्ष(Conclusion) 🍁

                        माँ चंद्रघंटा दिव्य शांति और शक्ति की प्रतिमूर्ति हैंतीसरे दिन उनकी आराधना साहस का संचार करती है, नकारात्मकता को दूर करती है और आत्मा को उच्चतर जागरूकता के लिए जागृत करती हैभक्तों को उनके आशीर्वाद से भावनात्मक उपचार, आध्यात्मिक प्रगति और निर्भय ऊर्जा प्राप्त होती हैउनकी दिव्य कृपा बाह्य शक्ति और आंतरिक शांति के बीच संतुलन लाती है 

***