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🌼 षटतिला एकादशी 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩षटतिला एकादशी 2024 🚩

षटतिला एकादशी के बारे में :

           षटतिला एकादशी माघ महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी (ग्यारहवें दिन) को कहा जाता हैषटतिला एकादशी का दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक अत्यंत शुभ दिन माना जाता है और इस दिन दुनिया भर के भक्त षटतिला एकादशी व्रत (उपवास) रखते हैं और भगवान श्री हरि विष्णु को प्रभावित करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के प्रयास में उनकी पूजा करते हैंइस व्रत कोपापहरनीके नाम से भी जाना जाता है, जिसका मोटे तौर पर अर्थ है ऐसा कुछ जो सभी पापों को नष्ट कर देता हैऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है          

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🕰️Shattila Ekadashi 2025 
Date & Time:📅

षटतिला एकादशी शनिवार, जनवरी 25, 2025 को 

पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 26वाँ जनवरी , 07:08 ए एम से 09:21 ए एम 

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 08:54 पी एम 

एकादशी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 24, 2025 को 07:25 पी एम बजे 

एकादशी तिथि समाप्त – जनवरी 25, 2025 को 08:31 पी एम बजे 

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🔰षटतिला एकादशी व्रत का महत्व (Significance Of Shattila Ekadashi):
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            हिंदू
कैलेंडर में माघ का महीना भगवान श्री हरि विष्णु को प्रिय हैइसलिए, हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भगवान श्री हरि विष्णु उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैंऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से कन्यादान यानी सोने का दान करने और एक हजार साल की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है 

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🔰षटतिला एकादशी में तिल की भूमिका (Role of Sesame in Shattila Ekadashi):🔰

           
            तिल को तिल के नाम से जाना जाता है और इसलिए इस दिन को षट-तिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। षटतिला एकादशी का त्यौहार तिल से जुड़ा हुआ है। तिल को बहुत पवित्र माना जाता है और हिंदू धर्म में हवन और पूजा के लिए अक्सर इसका इस्तेमाल किया जाता है। षटतिला एकादशी पर तिल का इस्तेमाल छह तरीकों से किया जा सकता है ताकि अनुष्ठान सफल हो सके। 

  

  • तिल के पानी से स्नान करें।
  • तिल के उबटन का इस्तेमाल करें।
  • पूजा में तिल का इस्तेमाल करें।
  • तिल का पानी पिएं।
  • तिल का दान करें।
  • तिल की मिठाइयाँ और व्यंजन बनाएँ। 

 

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🍀 षटतिल एकादशी व्रत की विधि (Shattila  Ekadashi  Puja Vidhi):🍀
 

            एकादशी व्रत की विधि दशमी (माघ मास की दशमी तिथि) की रात्रि से ही शुरू हो जाती है। मान्यता है कि इन विधियों का पूरी श्रद्धा से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। तो आइए जानते हैं षटतिला एकादशी के दिन किन-किन विधियों का पालन करना चाहिए। 

  • दशमी तिथि के सूर्यास्त के बाद व्रती को भोजन नहीं करना चाहिए।
  • नारद पुराण के अनुसार इस दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर तिल युक्त जल से स्नान करना चाहिए।
  • स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
  • अपने मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
  • मूर्ति और उसके आस-पास तिल और गंगाजल छिड़ककर मूर्ति या तस्वीर को पंचामृत से स्नान कराएं, जिसमें तिल अवश्य शामिल होना चाहिए।
  • घटस्थापना के बाद घी का दीपक जलाएं, धूपबत्ती जलाएं और भगवान को तिल के साथ फूल और मिठाई अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें और पूजा करें।
  • घर के मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु की मूर्ति के सामने विष्णु आरती का पाठ करने की सलाह दी जाती है।
  • इस शुभ दिन तिल का दान करना सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि आप जितने तिल दान करते हैं, उतने ही दिनों तक स्वर्ग में रहते हैं। 

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Mantras of Shattila Ekadashi:
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 

Om namo bhgvate vasudevay 

 

ॐ नमो नारायणाय 

Om Namo Naraynay 

 

ॐ विष्णवे नम: 

Om Vishnave Namah: 

 

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः। 

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥ 

 

 Mangalam bhagvan  Vishnu, Mangalam Garuddhwaj. 

Mangalam Pundari Kaksha, Mangalay Tano Hari. 

  

  ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। 

Om Shri Vishnave Cha Vidmahe Vasudevay Dhimahi. 

 

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ 

 Tanno Vishnu: Prachodayat. 

 

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । 

प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः। 

Krishnay Vasudevay Haraye Paramatmane. 

Pranat klesha nashaya govindaya namo namah. 

 

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💐निष्कर्ष(Conclusion): 💐


             अब तक आप षटतिला एकादशी का महत्व समझ गए होंगे। यह हिंदू कैलेंडर में सबसे शुभ दिनों में से एक है और इस दिन के अनुष्ठानों का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 

              हम आशा करते हैं कि आप षटतिला एकादशी को पूरी आस्था के साथ मनाएंगे और भगवान श्री हरि विष्णु के आशीर्वाद से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। 

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