तुलसी विवाह भारत के सबसे पुराने त्योहारों में से एक है। यह भगवान विष्णु और वृंदा का एक औपचारिक विवाह है, जो शालिग्राम और तुलसी के रूप में है। यह द्वादशी तिथि या बारहवें चंद्र दिवस पर मनाया जाता है, और आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है।
तुलसी विवाह हिंदुओं के लिए विवाह के मौसम की भी शुरुआत करता है, जो चतुर्मास के दौरान रुक जाता है, चार महीने जब भगवान विष्णु गहरी नींद में होते हैं। तुलसी विवाह को विवाह के मौसम का ‘शुभ आरंभ’ माना जाता है।
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तुलसी विवाह बुधवार, नवम्बर 13, 2024 को
द्वादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 12, 2024 को 04:04 पी एम बजे
द्वादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 13, 2024 को 01:01 पी एम बजे
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तुलसी विवाह भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के दिव्य मिलन का प्रतीक है, जो तुलसी के रूप में अवतरित हुए हैं। यह इस बात का भी प्रतीक माना जाता है कि कैसे देवता पुण्यवान, धार्मिक और खुद पर और अपने विश्वास पर विश्वास करने वाले लोगों के प्रति कभी कोई गलत काम नहीं कर सकते और न ही करेंगे।
तुलसी विवाह का दिन देवउठनी एकादशी के बाद भी आता है, जो मानसून के मौसम के अंत और शुभ अवसरों, विशेष रूप से शादियों की शुरुआत का प्रतीक है।
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तुलसी विवाह की कथा वृंदा की कहानी से आती है, जो एक धर्मपरायण पत्नी थी, जिसका विवाह दुष्ट राजा जलंधर से हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, वृंदा का विवाह राक्षस राजा से हुआ था और वह अत्यंत धर्मपरायण थी। उसे अपने पति पर पूरा भरोसा था। उसकी पवित्रता और आस्था ने दुष्ट राजा को अपराजित रखा।
देवताओं को जलंधर की शक्तियों से खतरा महसूस हुआ और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान ने वृंदा की भक्ति को तोड़ने के प्रयास में, जलंधर का रूप धारण किया और उसके पास पहुंचे। उन्होंने उसे धोखा देकर उसका सतीत्व भंग कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप जलंधर ने अपनी शक्ति खो दी। फिर उसे भगवान शिव ने युद्ध में हरा दिया।
जब वृंदा को भगवान विष्णु के छल और जलंधर की हार के बारे में पता चला, तो वह क्रोधित हो गई। उसने भगवान विष्णु को अपने विश्वास को धोखा देने के लिए एक काले पत्थर, शालिग्राम में बदल जाने का श्राप दिया। लेकिन भगवान विष्णु उसके जैसी पवित्र महिला को दंडित नहीं कर सकते थे। उन्होंने उससे वादा किया कि वह पवित्र तुलसी के पौधे के रूप में पुनर्जन्म लेगी और वह हर साल इसी रूप में उससे विवाह करेंगे।
और तब से, तुलसी विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप या भगवान विष्णु या भगवान कृष्ण की छवि और घर में उगने वाले तुलसी के पौधे के साथ किया जाता है।
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🔰तुलसी विवाह क्यों कराते हैं(Why do we perform Tulsi Vivah?)🔰
सनातन धर्म में तुलसी विवाह का बहुत ही अधिक महत्व है। घर के आंगन में तुलसी होने से घर में सुख, समृद्धि आती है। माता तुलसी की विधिवत पूजा करने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। तुलसी विवाह के तुलसी जी और शालीग्राम भगवान की विधिवत पूजा करने से साधक को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही होती है तो वो यदि तुलसी विवाह के दिन तुलसी जी और शालीग्राम भगवान का विवाह करवाते हैं तो शीघ्र ही उनके विवाह के योग बनते हैं।
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🔰कौन हैं शालिग्राम भगवान (Who is Shaligram Bhagwan?) 🔰
पद्मपुराण में भगवान शालीग्राम के रूप का वर्णन मिलता है। शालीग्राम भगवान को भगवान विष्णु का निराकार और विग्रह रूप माना जाता है। शालीग्राम पत्थर नेपाल के गंडक नदी तल के भीतर पाया जाता ह। इसी स्थान पर सालग्राम नामक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के इस रूप की पूजा की जाती है। वहीं से इस पत्थर का नाम शालीग्राम पड़ा। पुराण के 33 तरह के शालीग्राम के रूप का वर्णन किया गया है। इन अवतारों में से 24 अवतार भगवान विष्णु के 24 अवतार माने जाते हैं। यदि भगवान शालीग्राम के पत्थर का आकार गोल होता है तो ये गोपाल रूप माना जाता है। यदि वहीं मछली का आकार होता है तो शालीग्राम भगवान का ये मत्स्य अवतार का प्रतीक माना जाता है
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🔰तुलसी पूजन सामग्री लिस्ट(Tulsi worship material list) 🔰
तुलसी का पौधा,शालीग्राम,मूली,केले के पत्ते,नारियल,कपूर,धूप,चंदन,हल्दी की गांठ,गन्ना,सिंदूर,सुहाग का सामान,लाल चुनरी,आंवला,बेर,बताशा,मौली,रोली,फूल.
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🍀तुलसी विवाह की पूजन विधि (Tulsi Vivah Puja Vidhi)🍀
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🍀 तुलसी स्तुति मंत्र 🍀
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः ।
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।
Devi tvam nirmita purvamarchitasi munishvaraih.
Namo Namaste Tulsi Papam Har HariPriya.
🍀तुलसी के पत्ते तोड़ने के मंत्र🍀
ॐ सुभद्राय नम:
Om Subhadraya Namah:
ॐ सुप्रभाय नमः
Om Suprabhaya Namah:
मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी,
नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।
Matastulasi Govind Hridayananda Karini,
Narayanasya Pujaartham Chinomi Twaan Namostute.
🍀 तुलसी को जल देते समय बोले ये मंत्र🍀
महाप्रसादजननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
Mahaprasadjanani, Sarva Saubhagyavardhini,
Aadhi Vyaadhi Hara Nityam, Tulsi Tvam Namostute.
🍀तुलसी गायत्री मंत्र🍀
ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
Om Shri Tulsyayi Vidmahe. Vishnu priyaayi dhimahi. Tanno Vrinda Prachodayat.
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