करवा चौथ एक हिंदू त्यौहार है जिसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने की पूर्णिमा के चौथे दिन विवाहित महिलाएं मनाती हैं। इस दिन, विवाहित हिंदू महिलाएं पूरे दिन सूर्योदय के बाद भोजन या पानी की एक भी बूंद नहीं पीकर ‘निर्जला व्रत’ या उपवास रखती हैं। वे अपने पति की समृद्धि, सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए इस परंपरा को मनाती हैं। महिलाएं छलनी से चांद और अपने पति के चेहरे को देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं।
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📅 करवा चौथ रविवार, अक्टूबर 20, 2024 को 🕰️
📅 करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 05:46 पी एम से 07:02 पी एम 🕰️
📅 अवधि – 01 घण्टा 16 मिनट्स 🕰️
📅 करवा चौथ व्रत समय – 06:25 ए एम से 07:54 पी एम 🕰️
📅 अवधि – 13 घण्टे 29 मिनट्स 🕰️
📅 करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – 07:54 पी एम 🕰️
📅 चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 20, 2024 को 06:46 ए एम बजे 🕰️
📅 चतुर्थी तिथि समाप्त – अक्टूबर 21, 2024 को 04:16 ए एम बजे 🕰️
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करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ ‘करवा’ का अर्थ है मिट्टी का बर्तन, वहीं ‘चौथ’ का अर्थ है चौथा दिन। इस दिन को इस मान्यता के साथ मनाया जाता है कि यह देवी पार्वती का दिन है, जिन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए व्रत रखा था। इसलिए, विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु और एक स्थायी वैवाहिक जीवन सुनिश्चित करने के लिए यह व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत परिवार में सौभाग्य और समृद्धि लाता है।
एक दिवसीय त्यौहार भारत के उत्तरी भागों में व्यापक रूप से मनाया जाता है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। विवाहित हिंदू महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और करवा माता से प्रार्थना करती हैं।
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करवा – करवा को गणपति का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं करवे में लगी टोटी गणेश जी की सूंड मानी जाती है. करवा में जल भरकर पूजा करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से मंगल कामनाएं पूर्ण होती है.
दीपक – करवा चौथ व्रत के दिन स्त्रियां छलनी में दीपक रखकर चांद और फिर पति का चेहरा देखती है. शास्त्रों के अनुसार दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है, एकाग्रता बढ़ती है.
कांस की सींक – कांस की सींक को करवे की टोटी में डाला जाता है. मान्यता है कि यह सींक शक्ति का प्रदर्शन करती है. कथा के अनुसार करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था उस समय उन्होंने अपनी शक्ति से इन्हीं सींकों का इस्तेमाल करके मगर को बांध दिया और यमराज के पास पहुंच गयीं. उस समय चित्रगुप्त करवा माता के जीवन का लेखा जोखा देख रहे थे. तभी करवा ने सींकों से चित्रगुप्त के पन्नों से पति के प्रसंग को अलग कर दिया और यम से पति के प्राणों की रक्षा की कामना की.
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गर्भवती महिलाएं- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का शरीर कई बदलावों से गुजरता है। इस दौरान व्रत रखना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को भरपूर पोषण की आवश्यकता होती है, जिसे व्रत रखने से पूरा नहीं किया जा सकता। साथ ही, पूरे दिन बिना पानी के रहना शिशु और मां, दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
स्तनपान कराने वाली महिलाएं- स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी व्रत नहीं रखना चाहिए। क्योंकि शिशु को स्वस्थ रखने के लिए मां को सही मात्रा में पोषण की जरूरत होती है, लेकिन उपवास करने की वजह से शरीर में पोषण की कमी हो सकती है, जिससे मां के साथ-साथ बच्चे की सेहत पर भी असर पड़ सकता है।
डायबिटीज- जिन महिलाओं को डायबिटीज है, उन्हें भी व्रत नहीं करना चाहिए। उपवास में रहने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित नहीं रहता। इसकी वजह से उन्हें परेशानी हो सकती है। शुगर लेवल ज्यादा कम होना भी खतरनाक हो सकता है।
दिल की बीमारी- जिन महिलाओं को दिल से जुड़ी कोई परेशानी हो, उन्हें भी करवा चौथ का व्रत नहीं रखना चाहिए। पूरे दिन बिना खाना और पानी के रहने से धमनियां सिकुड़ जाती है, जिसकी वजह से बीपी बढ़ता है। ये कंडीशन घातक साबित हो सकती है।
शारीरिक कमजोरी- जिन महिलाओं का वजन ज्यादा कम हो या एनीमिया जैसी कोई डेफिशिएंसी डिजीज हो, उनके लिए भी उपवास करना ठीक नहीं है।
ऊँ एकदंताय नम: Om Ekadantay Namah :
ऊँ वक्रतुंडाय नम: Om Vakratundaya Namah:
ऊँ गं गणपतयै नम: Om Gan Ganpatayai Namah:
ऊँ नम: शिवाय Om Namah: Shivay
ऊँ रुद्राय नम: Om Rudray Namah:
ऊँ तत्पुरुषाय नम: Om Tatpurushaya Namah:
ऊँ चतुर्थी देव्यै नम: Om Chaturthi Devyai Namah,
ऊँ गौर्ये नम:, Om Gaurye Namah :,
ऊँ शिवायै नम: ।। Om Shivay Namah.
ऊँ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मृताम्॥
ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया ।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।। ऊँ जय करवा मइया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।। ऊँ जय करवा मइया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती ।। ऊँ जय करवा मइया।
होए सुहागिन नारी, सुख सम्पत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।। ऊँ जय करवा मइया।
करवा मइया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।। ऊँ जय करवा मइया।
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