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🌼 पुत्रदा एकादशी 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩 श्रावण पुत्रदा एकादशी 2024 🚩

Significance of Putrada Ekadashi 2024:

       प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, संतान प्राप्ति और संतान की लंबी आयु के लिए इस दिन व्रत रखना चाहिए। ऐसा करने से जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और संतान की लंबी आयु होती है। इस दिन व्रत रखने से संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। जो दंपत्ति संतान प्राप्ति से बचना चाहते हैं या जो संतानहीन होना चाहते हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य रखना चाहिए। अगर दंपत्ति साथ मिलकर व्रत रखते हैं, तो व्रत का फल शीघ्र मिलता है। जो लोग इस व्रत की कथा और महत्व को पूरी निष्ठा से पढ़ते या सुनते हैं, उन्हें कई गायों के दान के बराबर पुण्य मिलता है। 

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श्रावण पुत्रदा एकादशी क्या है?

       

          साल की दो एकादशियों को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौष और श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशियों को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। 

        अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार वर्तमान में पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी दिसम्बर या जनवरी के महीने में पड़ती है जबकि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है। पौष माह की पुत्रदा एकादशी उत्तर भारतीय प्रदेशों में ज्यादा महत्वपूर्ण जबकि श्रावण माह की पुत्रदा एकादशी दूसरे प्रदेशों में ज्यादा महत्वपूर्ण है।’ पुत्रदा ‘ शब्द का अर्थ है ‘ पुत्रों को देने वाली ‘ और इसलिए ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। 

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श्रावण पुत्रदा एकादशी 2024 Date and Time:

 

🍀 श्रावण पुत्रदा एकादशी : शुक्रवार, अगस्त 16, 2024  🍀

🌺  पारण (व्रत तोड़ने का) समय17वाँ अगस्त को, 06:17 से 08:05 🌺

🌹पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय : 08:05   🌹

🌻एकादशी तिथि प्रारम्भ : अगस्त 15, 2024 को 10:26 बजे  🌻 

💐 एकादशी तिथि समाप्त : अगस्त 16, 2024 को 09:39 बजे  💐

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Putrada Ekadashi:
🌼व्रत विधि (Putrada Ekadashi Vrat Vidhi):🌼

 

  • पुराणों के अनुसार दशमी तिथि को शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए. 
  • एकादशी का व्रत रखने वाले को अपने मन को शांत एवं स्थिर रखना चाहिए. किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न लायें. परनिंदा से बचें. 
  • प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए तथा स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान् विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीप प्रज्वलित करना चाहिए. 
  • भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी, ऋतु फल एवं तिल का प्रयोग करें. 
  • व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, शाम में पूजा के बाद चाहें तो फल ग्रहण कर सकते है. 
  • यदि आप किसी कारण व्रत नहीं रखते हैं तो भी एकादशी के दिन चावल का प्रयोग भोजन में नहीं करना चाहिए. 
  • एकादशी के दिन रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है इसलिए रात में जागकर भगवान का भजन कीर्तन करें. 
  • एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. 
  • अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें. 
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