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🌼 देवशयनी एकादशी 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩 देवशयनी एकादशी 2024 🚩

Significance of Devshayani Ekadashi 2024:
देवशयनी एकादशी से जुड़ी मान्यताएं :

     देवशयनी एकादशी से जुड़ी कुछ खास मान्यताएं हैं, जिन्हें जानना आपके ज्ञान को बढ़ाएगा – 

     देवताओं का विश्राम: ऐसा माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से देवता भी चार महीने के लिए विश्राम करते हैं। इस दौरान मांगलिक कार्यों और शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है। 

     चातुर्मास के नियम: चातुर्मास के दौरान भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। साथ ही इस दौरान जमीन पर सोना, ब्रह्मचर्य का पालन करना और सात्विक भोजन ग्रहण करने की परंपरा है। 

     वैष्णव संप्रदाय में महत्व: वैष्णव संप्रदाय में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन वैष्णव भक्त भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहते हैं। 

     इन मान्यताओं के आधार पर चातुर्मास के दौरान आध्यात्मिक साधना पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। 

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देवशयनी एकादशी का महत्व: 

 

     देवशयनी एकादशी पर व्रत रखने से भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को सुखी, पूर्ण जीवन जीने का पुण्य मिलता है, मुक्ति मिलती है और आत्मा के पार होने के बाद भगवान विष्णु के धाम में स्थान मिलता है। भगवान श्री कृष्ण ने उल्लेख किया है कि देवशयनी एकादशी या व्रत कथा के बारे में सुनने या पढ़ने से भी भक्त के पाप धुल जाते हैं। देवशयनी ग्यारस/एकादशी भगवान विष्णु के सभी भक्तों और विशेष रूप से वैष्णव समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण एकादशी है, जो व्रत/उपवास रखकर देवशयनी एकादशी मनाते हैं और इस शुभ एकादशी के अन्य सभी नियमों का सावधानीपूर्वक पालन करते हैं। हिंदुओं के अनुसार, चातुर्मास (‘चतुर’ का अर्थ है चार और ‘मास’ का अर्थ है महीने), शुभ अवसर, जैसे विवाह आदि नहीं किए जाते हैं क्योंकि इन महीनों के दौरान भगवान श्री हरि और देवता सो जाते हैं। चातुर्मास भारत में मानसून का मौसम भी है। भक्तगण चतुर्मास के दौरान सभी एकादशी व्रत भी रखते हैं और इस दौरान प्याज, लहसुन, अनाज और फलियों से परहेज करते हैं। 

     एक अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन प्रसिद्ध पंढरपुर यात्रा है। भारत के महाराष्ट्र राज्य के पंढरपुर में बहुत ही पूजनीय और प्रसिद्ध भगवान विठ्ठल/विठोबा मंदिर है, जहाँ देवशयनी एकादशी के शुभ दिन पर हजारों भक्त पूरे महाराष्ट्र से भगवान विठ्ठल और देवी रुक्मिणी (भगवान विठ्ठल की पत्नी) को अपनी पूजा अर्पित करने आते हैं। भक्त कई दिनों तक विभिन्न शहरों और कस्बों से जुलूसों में पैदल यात्रा करते हैं और विठोबा मंदिर में भगवान विठ्ठल की मूर्ति के सामने प्रार्थना करने के बाद ‘यात्रा’ समाप्त होती है। 

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Devshayani  Ekadashi  Date and Time:

 

🍀 देवशयनी एकादशी : बुधवार, 17 जुलाई, 2024  🍀

🌺  पारण समय : 18 जुला 06:14 AM 08:55 AM   🌺

🌹पारण के दिन द्वादशी समाप्ति क्षण : 08:44 PM  🌹

🌻एकादशी तिथि प्रारंभ : 16 जुलाई, 2024 को 08:33 PM 🌻 

💐 एकादशी तिथि समाप्त :17 जुलाई, 2024 को 09:02 PM  💐

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About Devshayani Ekadashi:
🍀 देवशयनी एकादशी के बारे में:

     देवशयनी एकादशी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को पड़ती है। इसे आषाढ़ी एकादशी, महा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी, तोली एकादशी, पद्मा एकादशी, देवपोधी एकादशी और हरि शयन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र में, इस दिन पाढरपुर मंदिर की वार्षिक पाढरपुर यात्रा या पवित्र तीर्थयात्रा समाप्त होती है। दक्षिण में, इस दिन को तोली एकादशी के रूप में पहचाना जाता है। वैष्णव मठों में पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार, मठवासी अपने शरीर पर गर्म मुहर पहनते हैं जिसे तप मुद्रा धारणा कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु इस दिन क्षीर सागर (दूधिया सागर) में लंबी नींद के लिए जाते हैं। इसलिए, यह दिन भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आदर्श माना जाता है। भगवान की नींद को योग-निद्रा कहा जाता है जो चार महीने तक चलती है। 

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देवशयनी एकादशी पूजा अनुष्ठान(Puja Rituals): 

         

  • भक्त सुबह जल्दी उठें और पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करें।
  • भगवान विष्णु और श्री यंत्र की मूर्ति रखें, शुद्ध घी का दीया जलाएं, पीले और लाल फूल चढ़ाएं। 
  •  मिठाई और पंचामृत (दूध, दही, चीनी, शहद और घी का मिश्रण) चढ़ाएं। 
  •  भगवान श्री हरि को तुलसी पत्र चढ़ाना न भूलें क्योंकि तुलसी पत्र चढ़ाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। 
  • भक्तों को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। 
  •  जरूरतमंद और गरीब लोगों को भोजन दान करना बेहद शुभ होता है। 
  • भक्त पारण के समय द्वादशी तिथि को अपना व्रत तोड़ते हैं। 

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देवशयनी एकादशी का महत्व:

 

🍀 भगवान विष्णु की योगनिद्रा और चातुर्मास का प्रारंभ 

देवशयनी एकादशी का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस दिन से जुड़ी प्रमुख मान्यताओं को जानना आवश्यक है – 

  • भगवान विष्णु की योगनिद्रा: शास्त्रों के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर चार महीने के लिए योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं। इस अवधि को चतुर्मास कहा जाता है। 

  • चातुर्मास का प्रारंभ: देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का प्रारंभ होता है। यह चार महीने का वह पवित्र काल होता है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठानों, अध्ययन और आत्मिक साधना को विशेष महत्व दिया जाता है। 

  • पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति: देवशयनी एकादशी का व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। 

  • मनोकामना पूर्ति: मान्यता है कि इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 

इस प्रकार, देवशयनी एकादशी न केवल भगवान विष्णु की भक्ति का पर्व है, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और पुण्य संचय का भी अवसर है। 

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 Mantras of Ekadashi:

 

🍀 Devshayani Ekadashi Harishayan Mantra:
इस हरिशयन मंत्र से सुलाएं भगवान विष्णु को

 

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम् | 

विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम् || 

Suptē tvayi jagannātha jagatsuptaṃ bhavēd idam  
Vibuddhē tvayi buddhaṃ ca jagat sarva carācaram || 

 

🍀 Devshayani Ekadashi Sankalp Mantra: 
देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र :

 

सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा। 

धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।। 

कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च। 

श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।। 

 

🍀 Devshayani Ekadashi Vishnu Kshma Mantra: 
देवशयनी एकादशी विष्णु क्षमा मंत्र :

 

भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:। 

कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।। 

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उपसंहार
देवशयनी एकादशी का पर्वकेवल हमें भगवान विष्णु की भक्ति का मार्ग दिखाता है, बल्कि यह हमें आत्मिक जागरण और पापों से मुक्ति का अवसर भी प्रदान करता हैइस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती हैसाथ ही चातुर्मास के चार महीनों का सदुपयोग करके हम अपने आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर हो सकते हैं 

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